Beta Carotene : स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचे रहने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन जरूरी है। ये पोषक तत्व शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाए रखने में मदद करते हैं। इनमें एक नाम बीटा कैरोटीन का भी आता है।
शरीर में इसकी जरूरत से कम और ज्यादा मात्रा कई शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है। आइये, स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानते हैं कि आखिर शरीर में बीटा-कैरोटीन की क्या भूमिका है। बीटा कैरोटीन की कमी के लक्षण और बीटा कैरोटीन (Beta Carotene) के नुकसान क्या-क्या हैं। साथ ही लेख में बीटा कैरोटीन के स्रोत भी बताए गए हैं। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
क्या है बीटा कैरोटीन? –
बीटा-कैरोटीन लाल, नारंगी और पीले रंग के पिगमेंट का समूह है, जिसे कैरोटेनॉयड्स कहते हैं। बीटा-कैरोटीन फलों, सब्जियों और साबुत अनाज में पाया जाता है। इसके अलावा, इसे प्रयोगशाला में भी बनाया जा सकता है। बीटा-कैरोटीन और अन्य कैरोटीनॉयड लगभग 50% विटामिन ए प्रदान कर सकते हैं।
इसका उपयोग कुछ कैंसर, हृदय रोग, मोतियाबिंद और कई अन्य समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं, रोजाना पांच सर्विंग फल और सब्जियां खाने से 6 से 8 मिलीग्राम बीटा-कैरोटीन प्राप्त हो सकता है । यह प्रो विटामिन ए का एक प्रकार भी है ।
बीटा कैरोटीन की कमी के लक्षण –
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बीटा कैरोटीन (Beta Carotene), विटामिन ए का ही एक प्रकार है। इसलिए, नीचे हम विटामिन-ए की कमी के लक्षण के आधार पर बीटा कैरोटीन की कमी के लक्षण बता रहे हैं --
दांतों और हड्डियों के विकास से जुड़ी समस्या।
आंखों की सूजन और रूखापन होना।
रतौंधी होना, इसमें रात के समय देखने में परेशानी हो सकती है।
बार-बार संक्रमित हो जाना।
त्वचा पर लाल चकत्ते दिखाई देना।
अधिक चिड़चिड़ापन महसूस करना।
बाल झड़ना।
भूख में कमी।
त्वचा का रूखापन।
बीटा कैरोटीन के फायदे –
बीटा कैरोटीन सेहत के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं : --
1. आंखों के स्वास्थ्य के लिए
आंखों को स्वस्थ रखने और आंखों से जुड़ी समस्याओं से बचाव के लिए बीटा कैरोटीन फायदेमंद हो सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार बीटा कैरोटीन उम्र से संबंधित नेत्र रोग, जिनमें मोतियाबिंद की समस्या, डायबिटिक रेटिनोपैथी (मधुमेह के कारण होने वाली आंखों की समस्या), ग्लूकोमा (आंखों का विकार, जिसमें नजर कमजोर होने लगती है) और एएमडी यानी एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (एक प्रकार का नेत्र रोग) शामिल हैं, में फायदेमंद माना गया है ।
2. कैंसर से बचाव के लिए
बीटा कैरोटीन कैंसर से बचाव में लाभदायक हो सकता है। जानवरों पर हुई एक रिसर्च के अनुसार बीटा कैरोटीन में कैंसर प्रीवेंशन प्रभाव यानी कैंसर से बचाव करने वाले प्रभाव मौजूद होते हैं। इस कारण यह कैंसर के विस्तार को रोकने में मददगार हो सकता है। शोध में आगे साफ तौर से जिक्र मिलता है कि यह कीमोप्रिवेंटिव एजेंट (कैंसर से बचाने वाला) के रूप में काम कर सकता है ।
वहीं, एक अन्य रिसर्च के मुताबिक बीटा कैरोटीन सप्लीमेंट की अधिक मात्रा धूम्रपान करने वाले लोगों में लंग्स यानी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि बीटा कैरोटीन की खुराक कैंसर का इलाज नहीं है। अगर कोई कैंसर से पीड़ित है, तो उसका डॉक्टरी इलाज कराना जरूरी है।
3. फेफड़ों के लिए
फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार के साथ ही इन्हें स्वस्थ रखने में भी बीटा कैरोटीन फायदेमंद माना गया है। इस विषय पर हुई एक रिसर्च के अनुसार बीटा कैरोटीन फेफड़ों की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दरअसल, बीटा कैरोटीन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स यानी मुक्त कणों से फेफड़ों की रक्षा कर सकते हैं। वहीं, सीमित मात्रा में लिया गया बीटा कैरोटीन का सप्लीमेंट फेफड़ों को सिगरेट के धुएं के होने वाली क्षति से बचा सकता है।
4. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम कर सकते हैं, जिनके कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है। वहीं, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कैंसर के साथ-साथ हृदय रोग, मधुमेह, अल्जाइमर रोग (भूलने की बीमारी) व पार्किंसंस रोग (यह शरीर की मूवमेंट को प्रभावित करत है का जोखिम बढ़ा सकता है। वहीं, एक शोध में पाया गया कि बीटा-कैरोटीन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स यानी मुक्त कणों से शरीर को बचाने का काम कर सकता है।
5. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए
विषय से जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस संज्ञानात्मक कार्य (सोचने, समझने, याद करने व निर्णय लेने की दिमागी क्षमता) और मोटर फंक्शन (शरीर की गतिशीलता से जुड़ा) को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, इसके लिए मस्तिष्क को एंटीऑक्सीडेंट की जरूरत होती है। इसके साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी भी हो सकती है।
यहां बीटा कैरोटीन फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर संज्ञानात्मक कार्य में मदद कर सकता है और अल्जाइमर रोग के जोखिम को भी कम कर सकता है ।
6. हृदय के लिए
एक शोध के अनुसार, फ्री रेडिकल्स, एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी पर और धमनी में फैट, कोलेस्ट्रॉल व अन्य पदार्थों का जमाव) का कारण बन सकते हैं, जिससे हृदय रोग का जोखिम खड़ा हो सकता है। वहीं, एंटीऑक्सीडेंट विटामिन जैसे बीटा-कैरोटीन का उपयोग फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम कर एथेरोस्क्लेरोसिस के विस्तार को रोकने का काम कर सकता है।
वहीं, शोध में आगे जिक्र मिलता है कि बीटा-कैरोटीन कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) के जोखिम को कम कर सकता है। रिसर्च में इस बात की पुष्टि की गई है कि कोरोनरी हृदय रोग की रोकथाम के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल-सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए ।
एक अन्य अध्ययन के अनुसार बीटा कैरोटीन धूम्रपान करने वाले लोगों में इस्केमिक हृदय रोग (आईएचडी) और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है (12)। इस्केमिक हृदय रोग (आईएचडी) सीने में दर्द या बेचैनी की एक स्थिति है, जो तब होती है जब हृदय के किसी हिस्से को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है।
7. मधुमेह के लिए
रक्त में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर मधुमेह की समस्या का कारण बन सकता है। इस समस्या को कम करने में बीटा कैरोटीन का सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। दरअसल, एक शोध के इस बात की पुष्टि हुई है कि बीटा कैरोटीन टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है। इसके पीछे बीटा कैरोटीन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं ।
8. त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए
त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए भी बीटा कैरोटीन के फायदे देखे गए हैं। दरअसल, इस विषय पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक बीटा कैरोटीन एक फोटोप्रोटेक्टर के रूप में कार्य कर सकता है, जो सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों की वजह से होने वाले एरिथेमा (त्वचा पर होने वाले लाल चकत्ते) को रोकने में मददगार कर सकता है। साथ ही त्वचा को सनबर्न से बचा सकते हैं। इसके अलावा, इसका फोटोप्रोटेक्टिव प्रभाव यूवी किरणों की वजह से होने वाली ढीली त्वचा और झुर्रियों से बचाव में मदद कर सकता है ।
9. बालों के लिए
एलोपेसिया एरियाटा (Alopecia areata) बाल झड़ने की एक समस्या है, जो इम्यून के बालों के रोम पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के कारण हो सकती है। इस समस्या में बीटा कैरोटीन सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। दरअसल, रिसर्च में पाया गया कि बीटा कैरोटीन में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव एलोपेसिया एरियाटा की समस्या को कम करने में मददगार हो सकता है। हालांकि, इस विषय पर अधिक शोध की आवश्यकता है।
इसके अलावा, एक और अन्य रिसर्च में पाया गया कि बीटा कैरोटीन में पाया जाने वाला फोटोप्रोटेक्टर प्रभाव सूर्य की हानिकारक किरणों की वजह से होने वाले हेयर डैमेज को कम करने में मददगार हो सकता है।
बीटा कैरोटीन के स्रोत –
बीटा कैरोटीन को प्राकृतिक रूप से फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से प्राप्त किया जा सकता है, इसके अलावा इसे प्रयोगशाला में भी बनाया जा सकता है। यहां हम इसके प्राकृतिक स्रोतों के बारे में बता रहे हैं : --
खुबानी
ब्रोकली
खरबूजा
गाजर कच्ची और पकी हुई
गोभी
सलाद
मिर्च
कद्दू
पालक पका हुआ और कच्चा
शकरकंद
विंटर स्क्वैश, पका हुआ
बीटा कैरोटीन के साइड इफेक्ट –
बीटा कैरोटीन सेहत के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है और अगर इसका सेवन सही मात्रा में किया जाए, तो इसके फायदे हो सकते हैं। वहीं, कुछ मामलों में नीचे बताए गए बीटा-कैरोटीन के संभावित नुकसान हो सकते हैं :
अगर लंबे समय तक (12 वर्षों तक) बीटा-कैरोटीन की अत्यधिक मात्रा का सेवन किया जाए, तो इससे मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है।
अधिक मात्रा में लेने पर बीटा-कैरोटीन त्वचा को पीला या नारंगी कर सकता है ।
अधिक मात्रा में बीटा-कैरोटीन सप्लीमेंट लेने से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है ।
धूम्रपान करने वाले लोगों में बीटा-कैरोटीन की खुराक से कोलन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है ।
बीटा कैरोटीन से जुड़ी तमाम जानकारी के बाद अब आप अच्छी तरह बीटा कैरोटीन के फायदे जान गए होंगे। शरीर में इसकी पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के लिए लेख में बताए गए बीटा कैरोटीन से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। वहीं, बीटा कैरोटीन की कमी के लक्षणों का भी जरूर ध्यान रखें। इसके अलावा, बीटा कैरोटीन के नुकसान से बचने के लिए बताई गई सावधानियों का पालन जरूर करें।
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